हमारे प्रभु मितभाषिणी उमा देवी को
अपने अद्र्धांग में रखने वाले हैं।
प्रभु की महिमा अपरम्पार है।
कैलास पर्वत को उठाने पर रावण के दसों सिरों को
अपने श्रीचरण से दबाकर विनष्ट करने वाले हैं।
वे तिल्लै चिट्रंबलम् में नृत्य करने वाले हैं।
महिमा-मंडित प्रभु के श्रीचरण के आश्रय में
उनकी स्तुति कर मोक्षपद पाइये ।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000