कविता - 8; ताल - पंजमं
बदलनेवाले जन्मों में कोई और दैव-सिद्धान्त से
घबराने हुवा मेरे घबर दूर करके
सोने की तरह चमकनेवाले पैरों के नीचे
सहारा दिये अतुलनीय रत्न,
अनेक धर्मों के गुण देखे महर्षियों के गुरु होकर
वटवृक्ष के नीचे बैठे हुए नाचनेवाला,
नास्तिक जैन बुद्धों के झूठों को जाननेवाले तुम
भक्त मुझे तुमारी शरण होने दें - 1.8
हिन्दी अनुवाद: ओरु अरिसोनन [देव महादेवन] 2017