कविता - 7; ताल - पंजमं
कुबेरमित्र, शंकर, त्रिशूल पाणी, स्थाणु, शिव,
स्वर्णमय महा स्तम्भ, कर्पक पेड की टहनी,
त्रिनेत्रवाले गन्ना, निर्पाप महान,
कार्तिकेय और गणेश का पिता,
स्वर्ण-मंच से देवों को शासन करनेवाले,
आप्के पातकमलों को मेरे हृदय में
सेवक मैं मधुर भाव से अनुभव करने दें - 1.7
हिन्दी अनुवाद: ओरु अरिसोनन [देव महादेवन] 2017