हमारे षिव बालचन्द्रधारी हैं।
तीनों लोकों में सर्वत्र व्याप्त हैं। वे सबके महादेव हैं। शत्रु त्रिपुर राक्षसों के किलों को भस्म करने वाले हैं। वे ज्योति स्वरूप हैं। मरकत मणि सदृष सौन्दर्य के साकार स्वरूप हैं। जैसे प्रभु और दुग्ध मिश्रित पेय स्वास्थ्य वर्धक हैं।
उसी प्रकार इस प्राण के प्रेरक स्वरूप कुट्रालम में प्रतिष्ठित होकर सब पर कृपा प्रदान करने वाले पे्रम स्वरूप हैं।
वहाँ भव्य नृत्य कर समस्त जीव धारियों को परमानन्द प्रदान करने वाले हैं।
वे ज्ञान स्वरूप पुलि़यूर में प्रतिष्ठित हैं।
आपका स्मरण न करने पर यह मानव जीवन व्यर्थ है।
रूपान्तरकार - डॉ.एन.सुन्दरम 2000