हमारे आराध्य देव शिव मेरे हृदय को आकृष्ट करनेवाले चित्त चोर हैं।
कौपीन वेश में कैलाश पर्वत उठानेवाले
लंकाधिपति का गर्व भंग करनेवाले हैं।
मेरे कर्म बंघनों को नष्ट करनेवाले हैं।
मेरे सारे दुःखों को दूर करनेवाले।
प्रलय काल में भी शाश्वत रूप में रहनेवाले हैं।
महिमा मण्डित समृद्ध ब्रह्मपुरम में प्रतिष्ठित प्रभु यही तो हैं।
रूपान्तरकार डॉ.एन.सुन्दरम 2010