हमारे आराध्य देव शिव एक ही आकृति में स्त्री भी है; पुरुष भी हैं।
प्रभु अर्धनारीश्वर हैं।
जटाजूट के साथ सुशोभित प्रभु वृषभारूढ़ हैं।
प्रभु अपने सुन्दर उद्गारों से मेरे हृदय को आकृष्ट करने वाले चित्त चोर हैं।
प्रलय काल में भी शाश्वत महिमामय ब्रह्मपुरम में भी प्रतिष्ठित प्रभु यही तो हैं।
रूपान्तरकार डॉ.एन.सुन्दरम 2010